जिस घर में हरि गुणगान वो घर है स्वर्ग समान लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










जिस घर में हरि गुणगान
वो घर है स्वर्ग समान
आँगन तुलसी गो सेवा
यही मानव की पहचान।।
तर्ज एक प्यार का नगमा है।


ये मानव का चोला
हर बार नही मिलता
उगता है सूरज जो
वो सांझ पड़े ढलता
जीवन का भरोसा क्या
दोबारा मिले न मिले
बड़े भाग्य से मौका मिला
चलो गो सेवा करले
गो सेवा में मन को लगा
हो जीवन का कल्याण
आँगन तुलसी गो सेवा
यही मानव की पहचान।।


गो माता के रग रग में
है देवो का स्थान
गो हत्या है ब्रह्म हत्या
ये कहते है वेद पुराण
फिर जान बूझकर के
क्यो गलती करे इंसान
आँगन तुलसी गो सेवा
यही मानव की पहचान।।









गर मुक्ति चाहते हो
करो निशदिन गो सेवा
दिलबर ये निश्चित है
मिले मुक्ति का मेवा
राजर्षि जयपाल सिंह कहे
गो सेवा है जग में महान
आँगन तुलसी गो सेवा
यही मानव की पहचान।।


जिस घर में हरि गुणगान
वो घर है स्वर्ग समान
आँगन तुलसी गो सेवा
यही मानव की पहचान।।
गायक एवम रचनाकार दिलीप सिंह सिसोदिया दिलबर।
नागदा जक्शन मप्र 9907023365

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jis ghar me hari gungan wo ghar hai swarg samaan lyrics