झांकी रे झरोखे बैठी लाडली जनक की भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










झांकी रे झरोखे बैठी
लाडली जनक की।।


राजा अनेक आए
एक से एक आए
अब विचारे देखो
धनुष तोड़न की
झाकी रे झरोखे बैठी
लाडली जनक की।।


चार जनी आगे पीछे
पुष्प माला हाथ लेके
बीच में समाए बैठे
छोटे से रामजी
झाकी रे झरोखे बैठी
लाडली जनक की।।


सीता जी अर्ज हमारी
जनक लली रहेगी ख्वारी
अब छोड़ो ना पिताजी
हठ धुनुष तोड़न की
झाकी रे झरोखे बैठी
लाडली जनक की।।









कहते हैं तुलसी दास
राम और लक्ष्मण साथ
तोड़ेंगे धनुष जैसे
लकड़ी इंधन की
झाकी रे झरोखे बैठी
लाडली जनक की।।


झांकी रे झरोखे बैठी
लाडली जनक की।।


9785854944










jhanki re jharokhe baithi ladli janak ki lyrics