जीवन मरण को खेल मनवा थारी उमर चली रे जसी रेल - MadhurBhajans मधुर भजन










जीवन मरण को खेल मनवा
जीवन मरण का खेल
थारी उमर चली रे जसी रेल
म्हारा मनवा जीवन मरण को खेंल।।


गर्भवास में तू उल्टो टँगायो
मोल करार करीने तू तो आयो
काटी नो महीना कि तूने जेल
म्हारा मनवा जीवन मरण को खेंल।।


गर्भवास से तू बाहर आयो
भाई बंधु में असो रे बँधायो
जसो सामन को बैल
म्हारा मनवा जीवन मरण को खेंल।।


गयी रे जवानी थारो आयो रे बुढ़ापो
आयो रे बुढापो दिन लागिगो कुढ़ापो
तोखे याद योवन सब खेल
म्हारा मनवा जीवन मरण को खेंल।।









कहे जन दल्लू सुनो भई साधो
सुनो भई साधो सुनो भई साधो
थारी गुरु चरणन में जेल
म्हारा मनवा जीवन मरण को खेंल।।


जीवन मरण को खेल मनवा
जीवन मरण का खेल
थारी उमर चली रे जसी रेल
म्हारा मनवा जीवन मरण को खेंल।।
प्रेषक घनश्याम बागवान
7879338198










jeevan maran ko khel mhara manva lyrics