जीवन है चार दिन का एक रोज सब को जाना भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
जीवन है चार दिन का
एक रोज सब को जाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
तर्ज मुझे इश्क है तुझी से।
मलमल के रोज साबुन
चमका रहा है जिसको
इत्रों फुलेल से तू
महक रहा है जिसको
काया ये खाक होगी
ये बात ना भूलाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का
एक रोज सब को जाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
मन है हरी का मंदिर
इसको निखार ले तू
कर कर के कर्म अच्छे
जीवन सवार ले तू
पापो से मन हटा ले
प्रभु को अगर है पाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का
एक रोज सब को जाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
एक रोज होगी जर्जर
कंचन सी तेरी काया
तिनका तलक भी तुझसे
ना जायेगा हिलाया
रह जायेगा यही पर
धन महल और खजाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का
एक रोज सब को जाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
साथी है दो घड़ी के
कहता है जिनको अपना
जग नींद से ओ मुरख
जग रेन का है सपना
गाए जा ज्ञान निश दिन
हरी नाम का तराना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
जीवन हैं चार दिन का
एक रोज सब को जाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
जीवन है चार दिन का
एक रोज सब को जाना
सामान सौ बरस का
पल का नहीं ठिकाना
जीवन है चार दिन का।।
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jeevan hai chaar din ka ek roj sabko jana lyrics