जीने का रस्ता ये एक वंशी सिखाती है लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
जीने का रस्ता ये एक वंशी सिखाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है।।
देखे घनश्याम तेरी बंसी पागल कर।
ऐसे मोहन ने नहीं अधरों पे संवारा
राज इसमें लाख हैं जाने ना जग सारा
बोझ ग़म का सीने पे अपने उठाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है।।
मुस्कुरा कर प्यार इससे करता है कान्हा
जानता है इसके दिल का क्यूंकि फ़साना
राधे रानी ये समझ पल भर ना पाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है।।
इसकी ये आदत से मोहन मुंह नहीं मोड़े
छोड़ता दुनिया को पर वंशी नहीं छोड़े
बेधड़क पल भर नहीं ये हिचकिचाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है।।
जीने का रस्ता ये एक वंशी सिखाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है
छेद है सीने में फिर भी गुनगुनाती है।।
jeene ka rasta ye ek vanshi sikhati hai lyrics