जय जय त्रिभुवन वन्दिनी प्रातः स्मरणीय देवी स्तुति - MadhurBhajans मधुर भजन










जय जय त्रिभुवन वन्दिनी
गिरिनन्दिनि हे गिरिनन्दिनि हे
असुर निकन्दिनि मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


त्रिगुण शक्ति निज धारणि
शुभकारिणि हे शुभकारिणि हे
भक्त उधारन मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


मधु कैटभ संहारिणी
सुरतारिणी हे सुरतारिणि हे
महिष विदारनि मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


धूम्रविलोचन मोचिनि
त्रयलोचनि हे त्रयलोचनि हे
दुख विमोचनि मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।









चण्ड मुण्ड भट मर्दिनि
सुविलासिनि हे सुविलासिनि
हे मन्द हसनि सुर मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


रक्तबीज रुधिरासिनि
भयनासिनि हे भयनासिनि हे
भूधर वासिनि मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


शुम्भ निशुम्भ विभंजनि
रिपुगंजनि हे रिपुगंजनि हे
शिव मन रजंनि मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


धरणीधर वरदायिनि
वरदायिनि हे वरदायिनि
हे मृगरिपु वाहन मातु
जय जय शंम्भु प्रिये।।


भूल चूक सब कर क्षमा
करुणामयी हे करुणामयी हे
मम सिर रख हाथ
जय जय शंम्भु प्रिये।।


दुर्गे दुर्गति नाशिनि
दुर्मति हरिये दुर्मति हरिये
शुध्द बुध्दि दे मातु
जय जय शंम्भु प्रिये।।


जय जय त्रिभुवन वन्दिनी
गिरिनन्दिनि हे गिरिनन्दिनि हे
असुर निकन्दिनि मातु
जय जय शम्भु प्रिये।।


9370197787










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