जपले माला सांझ सवेरे एक माला हरि नाम की भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
जपले माला सांझ सवेरे
एक माला हरि नाम की
जिस माला में हरि का भजन नहीं
वह माला किस काम की।।
राम के बल से हनुमान ने
सागर शीला तिराई जी
शक्तिबाण लगो लक्ष्मण के
बुटी लाय पिलाई जी
जपले माला साँझ सवेरे
एक माला हरि नाम की।।
राम के बल पर अंगद ने रे
रावण को ललकारा जी
भरी सभा में जाकर उन्होंने
अपना पांव जमाया जी
जपले माला साँझ सवेरे
एक माला हरि नाम की।।
एक माला भाई मैया जानकी
हनुमान को दान की
तोड़ तोड़ कर उस माला को
भूमि पर वो डाल दी
सीना फाड़ दिखा दिया जी
मुरत सीताराम की
जपले माला साँझ सवेरे
एक माला हरि नाम की।।
भगति हो तो हनुमत जैसी
सीता की सुध लायो जी
तुलसी दास आस रघुवर की
हरख हरख गुण गायो जी
जपले माला साँझ सवेरे
एक माला हरि नाम की।।
जपले माला सांझ सवेरे
एक माला हरि नाम की
जिस माला में हरि का भजन नहीं
वह माला किस काम की।।
गायक महावीर जी राजपुरोहित।
प्रेषक सुभाष सारस्वा।
9024909170
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