जगदिश के गुण को जिसने भी अपने मुख से जो गाया है - MadhurBhajans मधुर भजन
जगदिश के गुण को जिसने भी
अपने मुख से जो गाया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
तर्ज दिल लुटने वाले।
ये भी उनकी ही माया है
दर जिसने उसे बुलाया है
जितना जगदीश ना भाया हे
उतना जगदीश को भाया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
जगदिश के गुण क्या
भाग्य लिखाकर आया है
जो कण्ठ प्रभु मन भाया है
जन्म उसी का धन्य हुआ
छुटी जो जग की माया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
जगदिश के गुण पूर्ण समर्पित भाव जगे
प्रभु चरणों में मेरा ध्यान लगे
ह्रदय द्रवित हो नेन बहे
अश्रु बन पुष्प चडाया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
जगदिश के गुण फिर
देर नही कोई फेर नही
यहॉ देर नही अन्धेर नही
आवाज पे सारे साज बजे
उस साज ने साज बजाया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
जगदिश के गुण ये प्रेम
नगर हे प्रेम करें
यहॉ नेम नही बस भाव धरें
यहॉ विधी विधान का काम नही
वो प्रेम वशीभूत आया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
जगदिश के गुण को जिसने भी
अपने मुख से जो गाया है
क्या मांगु यह भी भूल गया
पाए का पार ना पाया है।।
रचनाकार श्री सुभाषचन्द्र जी त्रिवेदी।
7869697758
jagdish ke gun ko jisne bhi apne mukh se jo gaya hai lyrics