जगाया जागो म्हारा बीर क्यों सुत्या रे अचेत नींद में - MadhurBhajans मधुर भजन
जगाया जागो म्हारा बीर
दोहा संस्कार संयोग से
सतगुरु मिले सुजान
तप्त मिटावे तन की
बन्दे तू तेरे को जाण।
जीव पीव भेळा भया
मिटगी खेंचाताण
खिंवा आनंद आपरो
केंवा करूँ बखाण।
सत्संग की आधी घड़ी
आधी में पुनिआध
तुलसी संगत साध की
कटे करोड़ अपराध।
तपस्या वर्ष हजार की
सत्संगत पल एक
तो भी बराबर नहीं तुले
सुखदेव कियो विवेक।
नींद निसाणी मौत की
ऊठ कबीरा जाग
और रसायण छोड़ के
थू राम रसायण लाग।
सुता सुता कांई करो
सुता आवे नींद
काळ सिरहाणे आय खड़ो
ज्यूँ तोरण आयो बींद।
जगाया जागो म्हारा बीर
क्यों सुत्या रे अचेत नींद में
करो सत्संग में सीर।।
सत्संग बिना न लागे सिंवरना
जैसे खोटा कतीर
राम नाम की सार न जाणे
कांई करेला मुड जीव।।
सत्संग घाट सुहावणा रे
जामे निर्मल नीर
नुगरा पापी नहाय नी जाणे
नहावे मस्त फकीर।।
जिनके बाण लगिया गुरु गम रा
मार लिया मन मीर
आठहु पहर गुरुजी रे चरणों मे रेवो
चहुदिस भळके हीर।।
लादुनाथ मिल्या गुरु सायब
केवल मुरसत पीर
खिंवा सार शब्द वाळी लेवो
उतरो परले तीर।।
जगाया जागों म्हारा बीर
क्यों सुत्या रे अचेत नींद में
करो सत्संग में सीर
सत्संग बिना न लागे सिंवरना
जैसे खोटा कतीर।।
गायक शंकर बराला।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052
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