ईश्वर तेरे दरबार की महिमा अपार है भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










ईश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है
बंदा न सके जान
तेरा क्या बिचार है
ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।


पृथ्वी ये जल के बीच
किस आसरे खड़ी
सूरज और चाँद घूमते
किसके आधार है
ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।


सागर न तीर लाँघते
सूरज दहे नहीं
चलती हवा मर्यादा से
किसके करार है
ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।


भूमि बिछा है बिस्तरा
नदियों में जल भरा
चलती हवा दिनरात
जीवन का आधार है
ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।









फल फूल अन्न शाक
कंद मूल रस भरे
घृत दूध दही खान पान
की बहार है
ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।


पिता है तू दयालु
तेरे बाल हम सभी
ब्रह्मानन्द तुझे धन्यवाद
बार बार है


ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।


ईश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है
बंदा न सके जान
तेरा क्या बिचार है
ईंश्वर तेरे दरबार की
महिमा अपार है।।
स्वर प्रेमभूषण जी महाराज।










ishwar tere darbar ki mahima apaar hai lyrics