इस रज में मैं खो जाऊँ इस ब्रज का ही हो जाऊँ लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
इस रज में मैं खो जाऊँ
इस ब्रज का ही हो जाऊँ।।
तर्ज तेरी मिट्टी में मिल जावा।
दोहा तेरे प्रेम में हर सुख वार दिया
तेरे ध्यान में दिल ये लगाया है
तब जाके कहीं हमने तेरा नाम
अपनी साँसो पे सजाया है।
ओ कान्हा मेरे तेरे दर पे रहूँ
तू ना आँख से एक पल ओझल हो
मैं दूर रहूँ वृंदावन से
जीवन में कभी ना वो पल हो
ओ राधे मेरी मेरी महारानी
हर वेद की तुम ही कहानी हो
जो प्रेम जगत का सार हो तुम
उस प्रेम की अमिट निशानी हो
इस रज में मैं खो जाऊँ
इस ब्रज का ही हो जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
इन लताओं सा लहराऊँ
यमुना मैया सा बह जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू।।
ओ बाँके मेरे बड़े छलिया तुम
इस ब्रज के तुम महाराजा हो
हर गोपी यही पुकार रही
ओ कान्हा दूर तू ना जा हो
ब्रजभूमि मेरी तेरा हर कण कण
बस प्रेम ही प्रेम दुहाई दे
चाहे कान लगाकर सुन लो तुम
बस राधा राधा सुनाई दे
बरसाने तेरे घर आऊँ
इस रस में ही तर जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
इस रज में मै खो जाऊँ
इस ब्रज का ही हो जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू।।
तुम आदिपुरुष तुम ही अंत में हो
हर पापी में हर संत में हो
तुम धरती में तुम व्योम में हो
ब्रह्माण्ड के हर एक रोम में हो
सब कुछ होकर गोपाल से तुम
मेरे नंद के छोटे लाल से तुम
कान्हा कुछ और तू ना देना
बस अपनी भक्ति सदा देना
आख़िर की जब साँस मैं लूँ
हे गोविंद तेरे नाम से लूँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
इन लताओं सा लहराऊँ
यमुना मैया सा बह जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू।।
इस रज में मैं खो जाऊँ
इस ब्रज का ही हो जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू
इन लताओं सा लहराऊँ
यमुना मैया सा बह जाऊँ
इतनी सी है दिल की आरज़ू।।
is raj me mai kho jaun is braj ka hi ho jaaun lyrics