इनरे जगत में जाल फेलीयो राजस्थानी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
इनरे जगत में जाल फेलीयो
इनरें जगत में जाल फेलीयो
ना कोई वारम्वारा ए हा
तीन लोक ये जग रिश्ता मे
तीन लोक ये जग रिशता मे
हो गया बंधु न्यारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा
अरे परखीया बिना प्रतीक नही होवे
परखीया बिना प्रतीक नही होवे
कैसे होवे विस्तारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा।।
इनरे जाल से सब जग बांधा
इनरे जाल से सब जग बांधा
निर्भय संगत म्हारा ए हा
ये ओझल एसो है जानो
ये ओझल एसो है जानो
टूटत नही लिगारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा।।
इनरे जाल री उल्टी ओडी
इनरे जाल री उल्टी ओडी
टूटत नही है लिगारा ए हा
जो कोई हरिजन ओडी खोले
जो कोई हरिजन ओडी खोले
ओर करे वही पारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा।।
है कोई संत सायब रा पूरा
है कोई संत सायब रा पूरा
काल जाल मे न्यारा ए हा
उल्टो जाल पडे रे जुगत मे
उल्टो जाल पडे रे जुगत मे
कटे जमो रा जाला रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा।।
अरे पीवे प्याला होवे मतवाला
पीवे प्याला होवे मतवाला
दर्शे अपरम्पारा ए हा
अरे कहे हेमनाथ सुनो भई साधु
केवे हेमनाथ सुनो भई साधु
निरखलीया निरधारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा।।
इनरे जगत में जाल फेलीयो
इनरें जगत में जाल फेलीयो
ना कोई वारम्वारा ए हा
तीन लोक ये जग रिश्ता मे
तीन लोक ये जग रिशता मे
हो गया बंधु न्यारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा
अरे परखीया बिना प्रतीक नही होवे
परखीया बिना प्रतीक नही होवे
कैसे होवे विस्तारा रे संतो
हरि को सिवर नित प्यारा ए हा।।
गायक प्रकाश माली जी।
प्रेषक मनीष सीरवी
9640557818
in re jagat me jal felyo lyrics