होली खेल रहे नन्दलाल गोकुल की कुञ्ज गलिन में - MadhurBhajans मधुर भजन










होली खेल रहे नन्दलाल
गोकुल की कुञ्ज गलिन में।।


मेरे घर मारी पिचकारी
मेरी भीगी रेशम साड़ी
मेरे घर मारी पिचकारी
मेरी भीगी रेशम साड़ी
अरे मेरे मुँह पे मलो गुलाल
गोकुल की कुञ्ज गलिन में।।


लिए ग्वाल बाल सब संग में
रंग गई बसंती रंग में
लिए ग्वाल बाल सब संग में
रंग गई बसंती रंग में
अरे मेरी चली ना कोई चाल
गोकुल की कुञ्ज गलिन में।।


मेरी रन्ग से भरी कमोरी
कंकरिया मार के फोरी
मेरी रन्ग से भरी कमोरी
कंकरिया मार के फोरी
में तो पड़ी हाल बेहाल
गोकुल की कुञ्ज गलिन में।।









मोसे हँस के बोलो बेना
तोहे सही बताऊ बहना
मोसे हँस के बोलो बेना
तोहे सही बताऊ बहना
मैं कर दई हरी और लाल
गोकुल की कुञ्ज गलिन में।।


होली खेल रहे नन्दलाल
गोकुल की कुञ्ज गलिन में।।










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