हे वास्तु दाता जगत रचियता तुम हो जगत सहारा - MadhurBhajans मधुर भजन
हे वास्तु दाता जगत रचियता
तुम हो जगत सहारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
तर्ज जहाँ डाल डाल पर।
हे पंच मुख दस भुजा तुम्हारी
सोहे प्रभु हंस सवारी
हरी ॐ ४
सोहे प्रभु हंस सवारी
हाथो मे है गज शुत्र लिए
विराट स्वरुप तुम्हारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
माघ तेरस को जनम लिया
बृज नाथ मे वास किया है
हरी ॐ ४
17 सितम्बर को होता है
पुजन दिवस तुम्हारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
तुने सोने की गढ लंका बनाई
ईन्द्र पुरी ने शोभा पाई
हरी ॐ ४
सब देवो की देव परीयो को
कला से सवारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
भोले का तुने त्रिशुल बनाया
ईन्द्र ने वज्र है पाया
हरी ॐ ४
विष्णु जी की ऊंगली पे
सुदर्शन तुमने ही उतारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
गाये पियुष जाँगिड महिमा आपकी
पुनीया भजन बनाए
हरी ॐ ४
देवो के देव विश्वकर्मा
गोपाल भी तेरा दुलारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
हे वास्तु दाता जगत रचियता
तुम हो जगत सहारा
तुमको प्रणाम हमारा
तुमको प्रणाम हमारा।।
गायक प्रेषक पियुष जाँगिड
8890798802
hey vaastu data jagat rachiyata tum ho jagat sahara lyrics