हरि नाम के रस को पी पीकर आनंद में जीना सीख लिया लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










हरि नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया
आनंद में जीना सीख लिया
आनंद में जीना सीख लिया
प्रभु प्रेम प्याला सत्संग में
जाकर के पीना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया।।


हरी नाम की मस्ती अनोखी है
पी करके हमने देखी हैं
सब चिंताओं को छोड़ के अब
मस्ती में रहना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया।।


पीकर के आनंद आता है
यह झूठा जग नहीं भाता है
तुम भी थोड़ी सी पिया करो
यह सब से कहना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया।।


हरि नाम में चूर जो रहते हैं
माया से दूर वो रहते हैं
हरी याद रहे हर पल हमको
प्रभु नाम को जपना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया।।









कहना यह चित्र विचित्र का है
मुश्किल से मिलता मौका है
हरि नाम के पागल बन जाओ
सब को समझाना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया।।


हरि नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया
आनंद में जीना सीख लिया
आनंद में जीना सीख लिया
प्रभु प्रेम प्याला सत्संग में
जाकर के पीना सीख लिया
हरी नाम के रस को पी पीकर
आनंद में जीना सीख लिया।।
स्वर श्री चित्र विचित्र महाराज जी।
प्रेषक शेखर चौधरी मो 9074110618










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