हरि मिलते नही है बिन प्रीत रे भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
मेरे मनवा मन मीत रे
हरि मिलते नही है बिन प्रीत रे
बिन प्रीत रे
ओ मेरे मनवा।।
तर्ज आजा तुझको पुकार मेरे गीत।
प्रीत लगाई थी
शबरी प्रभू से
खाए झूठे बैर प्रभू थेहो
झूठे बैर खिला शबरी ने
करली अमर देखो प्रीत रे
हरि मिलते नही है बिन प्रीत रे।।
प्रीत लगाई थी
बाई मीरा ने
विष का प्याला भेजा राँणा नेहो
आज अमर गाथा के दुनिया
गाती है सब गीत रे
हरि मिलते नही है बिन प्रीत रे।।
नाम न ध्यावे न
ध्यान लगाए
भक्ती का झूठा रँग चढ़ाएहो
छल करता है उससे जिसको
भाए न छल छीद्र रे
हरि मिलते नही है बिन प्रीत रे।।
हरि मिलते नही है बिन प्रीत रे
बिन प्रीत रे
ओ मेरे मनवा।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।
hari milte nahi hai bin preet re lyrics