हरि जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
हरि जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो
दोहा संत मुक्ति का पोलिया
इनसे करिये प्यार
कुची उनके हाथ में
खोले मोक्ष द्वार।
हरि जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो
जब जब जन्म धरूँ धरती पर
संत समागम दिजो
राम जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो।।
संत समागम हमें प्रभू जी
सदा कराता रहिजो
आ अर्जी मंजूर करो फिर
दिल चाहे सो किजो
राम जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो।।
ओर वासना कुछ नहीं म्हारे
अंतर की लिख लिजो
अगर जो हो तो ज्ञान अग्नी से
जरा भस्म कर दिजो
राम जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो।।
सतसंग है भवतारण गंगा
परसत अद्य हर लिजो
जीव मैल का दूर हटा कर
ब्रह्म रूप कर लिजो
राम जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो।।
अरज करूँ कर जोड गुसैयां
जन अपनो कर लिजो
कल्याण भारती तुम शरणागती
भक्ती बिरद मोहे दिजो
राम जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो।।
हरि जी म्हारी आईं अर्ज सुण लिज्यो
जब जब जन्म धरूँ धरती पर
संत समागम दिजो
राम जी म्हारी आई अर्ज सुण लिज्यो।।
गायक मनोहर परसोया।
कविता साउँण्ड किशनगढ़।
hari ji mhari aai araj sun lijo lyrics