हमें श्याम ना मिला सुन राधिका दुलारी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










हमें श्याम ना मिला
सुन राधिका दुलारी
मैं हूँ द्वार का भिखारी
तेरे श्याम का पुजारी
एक पीड़ा है हमारी
हमें श्याम न मिला
हमें श्याम न मिला।।


हम समझे थे कान्हा कही
कुंजन में होगा
अभी तो मिलन का हमने
सुख नहीं भोगा
ओ सुनके प्रेम कि परिभाषा
मन में बंधी थी जो आशा
आशा भई रे निराशा
झूटी दे गया दिलाशा
किसी गैर ना मिला
किसी गाँव ना मिला
हमें श्याम न मिला
हमें श्याम न मिला।।


देता है कन्हाई जिसे
प्रेम कि दीक्षा
सब विधि उसकी लेता
भी है परीक्षा
ओ कभी निकट बुलाये
कभी दूरियाँ बढ़ाये
कभी हंसाये रुलाये
छलिया हाथ नहीं आये
अपनी प्रीत का कोई
परिणाम ना मिला
हमें श्याम न मिला
हमें श्याम न मिला।।









ओ अपना यहाँ जिसे
कहे सब कोई
उसके लिए मैं
दिन रात रोई
ओ नेह दुनिया से तोड़ा
नाता सांवरे से जोड़ा
उसने ऐसा मुख मोड़ा
हमें कही का ना छोड़ा
हमने मन तो दिया
मन का दाम ना मिला
हमें श्याम न मिला
हमें श्याम न मिला।।


हम तुम दोनों एक
पथ के बटोही
हाय रे हमारा श्याम
पिया निर्मोही
ओ जिया से पिया नहीं जाए
पिया बिन जिया नहीं जाए
दोष दिया नहीं जाए
रोष किया नहीं जाए
हमें तज के ये काम
कोई काम ना मिला
हमें श्याम न मिला
हमें श्याम न मिला।।


सुन राधिका दुलारी
मैं हूँ द्वार का भिखारी
तेरे श्याम का पुजारी
एक पीड़ा है हमारी
हमें श्याम ना मिला
हमें श्याम न मिला।।
स्वर श्री गौरव कृष्ण जी शास्त्री।
प्रेषक शिव कुमार शर्मा।
9923347650










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