हल्दीघाटी में युद्ध लड्यो वो मेवाड़ी सरदार भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










हल्दीघाटी में युद्ध लड्यो
वो मेवाड़ी सरदार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।


मेवाड़ धरा रो रखवालों वो
शिशोदिया रो कुल
अपने प्राणा सु प्यारी ही वाने
या मेवाड़ धरा री धूल
अपने कंधों पर उठा लियो
राणा जी ने पूरो भार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।


मेवाड़ी वो साचो राजपूत
मर्यादा साची निभाई
धार लियो विकराल रूप
वणी मुगला ने धूल चटाई
अरे दुश्मन यू थर थर थर्राया
देख भाला री धार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।


धरा गगन भी देख रया वटे
मेवाड़ नाथ री ताकत
मेवाड़ी सेना ने मुगल री
मिट्टी में मिलाई हिमाकत
जंगल में रेनो कबूल कर्यो
पण नहीं मानी वणी हार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।









तलवार चली जद राणा री
दुश्मन रो माथो चकरायो
चेतक ने चढायो हाथी पर
वो मानसिंह घबरायो
कियो राणा ने हाथी पर चढ़
उस मानसिंह पर वार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।


नदिया बही वटे खून री
बारिश रो बरसनो बंद वियो
चेतक वाली टापा सु
बादल रो गरजनो बंद वियो
घोड़े संग दुश्मन कट जाता
राणो यू करतो वार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।


थी अतरी रजपूता में शक्ति
धड भी लाडवा लाग्या
देख रणधीरा रो कोप बेरी
समर छोड़ ने भाग्या
अरे कवि लक्ष्मण यो भजन लिखे है
गावे नर ने नार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।


हल्दीघाटी में युद्ध लड्यो
वो मेवाड़ी सरदार
चेतक री टापा गूंज रही
घूमे मेवाड़ी सरदार।।
लेखक प्रेषक लक्ष्मण सिंह राजपूत।
9680064731










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