है अब भी वक़्त संभल जा तू मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










है अब भी वक़्त संभल जा तू
छोड़ के नादानी
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
हैं अब भी वक़्त संभल जा तू।।
तर्ज बना के क्यों बिगाड़ा।


मांगने जाता है तू भिक्षा
जिस ईश्वर के द्वारे पर
उस ईश्वर की खंडित मूर्ती
रख देता चौराहे पर
कैसा दोगलापन है ये तेरा
है कैसी ये गुमानी
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
हैं अब भी वक़्त संभल जा तू।।


जिसने दिया तुझको सब उस
इश्वर के आगे ढोंग रचे
जिव्हा भी कहने से है डरती
ऐसे ऐसे तू काम करे
ज़्यादा पाने की चाहत में
तू करता खुद की हानि
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
हैं अब भी वक़्त संभल जा तू।।









सच्चे मन से तूने कभी भी
किया नहीं ईश्वर का ध्यान
अपने पतन का कारण तू खुद
औरों को देता इलज़ाम
अपने कर्मो पर शर्मा तुझे
क्या आती ना ग्लानी
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
हैं अब भी वक़्त संभल जा तू।।


है अब भी वक़्त संभल जा तू
छोड़ के नादानी
मूरख प्राणी ओ मूरख प्राणी
हैं अब भी वक़्त संभल जा तू।।












hai ab bhi waqt sambhal ja tu murakh prani bhajan lyrics