हद में शक्ति खेल रचायो देसी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
हद में शक्ति खेल रचायो
दोहा आदु माया आद भवानी
और महिमा अपरम्पार
तू ही विष्णु गणेश है
और तू ही शिव जी साकार।
हद में शक्ति खेल रचायो
बेहद माही माया रचे
धरा गगन मध्य ज्योत फिरे है
चारुं दिस प्रकाश फिरेहो।।
समंदर माहीं कमल खिलो है
बीच कमल में सती भई
छालोफोड़ हथेली माहीं
ब्रह्मा विष्णु महेश बणियाहो।।
तीनों रुप निरखे भवानी
दुर्गा लक्ष्मी शारदिया
तीनों देवी वरणे देवा
नहीं कुंवारा नहीं परणियाहो।।
करताहरतापालन करता
तीनों का ये कर्म बणिया
शक्ति वो फिर ज्युं की त्युं है
पार नहीं वाको पायाहो।।
कुंभ बणायो वा कुम्हारी
जिणमें ब्रह्ममांडा़ रचियां
ओम् कार की वी झणकारी
चाक चले महा माईहो।।
कहे कबीरा सुणभाई साधु
यो पद हैं परवाणी को
रतन रचियों गुरु संदेशों
सत्संग में सुणावेंहो।।
हद में शक्ति खेल रचायों
बेहद माही माया रचे
धरा गगन मध्य ज्योत फिरे है
चारुं दिस प्रकाश फिरेहो।।
गायक व रचना पं रतनलाल प्रजापति।
सहयोगी श्री प्रजापति मण्डल चौगांवडी़।
मो 7627022556
had me shakti khel rachayo lyrics