गुरूसा बिना कौन प्रेम जल पावे देसी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










गुरूसा बिना कौन प्रेम जल पावे
कूपो रा नीर किणी विध सूखे
सीर सायर सू आवे
गुरूजी बिन कौन प्रेम जल पावे।।


कर्मो री जहाजों दो प्रकाशा
शुभ अशुभ कहावे
अशुभ कर्म ने दूर हटावे
शुध्दि बुध्दि घर में लावे
गुरूजी बिना कौन प्रेम जल पावे।।


म्हारा गुरूसा चन्नण सरूपी
फूल वासना लेवे
लिपटयोड़ा बासँग मगन हो बैठा
चन्नण छोड़ नहीं जावे
गुरूजी बिना कौन प्रेम जल पावे।।


म्हारा गुरूसा भँवर सरूपी
कीट पकड़ घर लावे
दे घरणाटो शब्द सुणावै
होय भँवर उड़ जावे
गुरूजी बिना कौन प्रेम जल पावे।।









दूध माही घृत मेहंदी
माहू लाली ज्ञान गुरूसा सू आवे
कहत कबीर सा सुणो भाई साधो
भाग पुरबला पावे
गुरूजी बिना कौन प्रेम जल पावे।।


गुरूसा बिना कौन प्रेम जल पावे
कूपो रा नीर किणी विध सूखे
सीर सायर सू आवे
गुरूजी बिन कौन प्रेम जल पावे।।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार।
आकाशवाणी सिंगर।
9785126052










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