गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे कबीर भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे
कुल अभिमान मिटावे है
कुल अभिमान मिटावे हो साधो
अरे सतलोक पहुँचावे है
गुरु जी बिना कोईं कामे नी आवे।।


नारी कहे मैं संग चलूँगी
ठगनी ठग ठग खाया है
अंत समय मुख मोड़ चली है
तनिक साथ नहीं देना है
गुरु जी बिना कोईं कामे नी आवे।।


कौड़ी कौड़ी माया रे जोड़ी
जोड़ के महल बनाया है
अंत समय में थारे बाहर करिया
उसमे रे रह नहीं पाया है
गुरु जी बिना कोईं कामे नी आवे।।


अरे जतन जतन कर सुन तो रे बाला
वा को लाड़ अनेक लड़ाया है
तन की ये लकड़ी तोड़ी लियो है
लाम्बा हाथ लगाया है
गुरु जी बिना कोईं कामे नी आवे।।









भाई बंधू थारे कुटम्ब कबीला
धोखे में जीव बंधाया है
कहे कबीर सुनो भाई साधो
कोई कोई पूरा गुरु बन्ध छुड़ाया है
गुरु जी बिना कोईं कामे नी आवे।।


गुरु जी बिना कोई कामे नी आवे
कुल अभिमान मिटावे है
कुल अभिमान मिटावे हो साधो
अरे सतलोक पहुँचावे है
गुरु जी बिना कोईं कामे नी आवे।।
गायक प्रहलाद सिंह जी टिपानिया।

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guruji bina koi kaam nahi aave lyrics