गुरुदेव मेरे दाता मुझको ऐसा वर दो भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
गुरुदेव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो
सेवा सत्संग सुमिरण से
झोली मेरी भर दो
गुरुदेंव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो।।
तर्ज होंठो से छूलो तुम।
नफरत जो करे मुझसे
मैं उनसे प्यार करूँ
कहते है बुरा मुझको
उनका सत्कार करूँ
नफरत को मिटा कर मुझमे
इक प्यार का रंग भर दो
गुरुदेंव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो।।
मेरे मन मंदिर में गुरुवर
इक बार बस जाओ
जिस ओर भी देखूं मैं
बस तुम ही नजर आओ
दो दान प्रभु अमृत का
जीवन में रस भर दो
गुरुदेंव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो।।
शबरी की तरह सेवा
और ध्यान हो मीरा सा
श्रद्धा हो तुलसी सी
और बोल कबीरा सा
रहमते नजर से प्रभु जी
निहाल मुझे कर दो
गुरुदेंव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो।।
हो समर्पण अर्जुन सा
और त्याग हो बुद्ध जैसा
भक्ति हो नरसी सी
और प्यार विदुरानी सा
इक अर्ज यही तुमसे
गुरुदेव पूरी कर दो
गुरुदेंव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो।।
गुरुदेव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो
सेवा सत्संग सुमिरण से
झोली मेरी भर दो
गुरुदेंव मेरे दाता
मुझको ऐसा वर दो।।
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