गुरु ज्ञान की ज्योति हमारी वो ही ज्योत जलाता हूँ लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
गुरु ज्ञान की ज्योति हमारी
वो ही ज्योत जलाता हूँ
गुरु की किरपा कैसे होती
मैं वो आज सुनाता हूँ।।
तर्ज क्या मिलिए ऐसे लोगों से।
गुरु बिन जीवन व्यर्थ हमारा
वेदों ने बतलाया है
गुरु से ही सद्करनी मिलती
ऋषियों ने समझाया है
गुरु ही मेरे पारब्रम्ह है
उनको शीश झुकाता हूँ
गुरु की किरपा कैसे होती
मैं वो आज सुनाता हूँ।।
गुरु का ज्ञान ले श्री राम ने
असुरों का संहार किया
गुरु की किरपा से ही पार्थ ने
द्रोपती जी का वरण किया
बिना गुरु नर राह भटकता
ये सच मैं बतलाता हूँ
गुरु की किरपा कैसे होती
मैं वो आज सुनाता हूँ।।
गुरु का जहाँ अपमान हुआ है
वहां का बेडा गर्क हुआ
अपमान किया था लंकापति ने
चूर भी उसका गर्व हुआ
लिखे मुनींद्र जी गुरु की गाथा
संजय तुम्हे सुनाता हूँ
गुरु की किरपा कैसे होती
मैं वो आज सुनाता हूँ।।
गुरु ज्ञान की ज्योति हमारी
वो ही ज्योत जलाता हूँ
गुरु की किरपा कैसे होती
मैं वो आज सुनाता हूँ।।
guru gyan ki jyoti hamari vo hi jyot jalata hun lyrics