गोरक्ष जोगी नाथ पुकारे मूल मत हारो हर का प्यारा जी - MadhurBhajans मधुर भजन
गोरक्ष जोगी नाथ पुकारे
मूल मत हारो हर का प्यारा जी।।
ग्यारस सूनी अवधू मावस सूनी
सूना है सातो वारा जी
पढ़िया तो पण्डित अवधू गुण बिन सूना
सूना तेरा मोक्ष द्वारा जी।।
कुण सै कमल में अवधू साँसम सांसा
कुण सै कमल जीव का बासा जी
नाभ कमल में अवधू साँसम सांसा
हृदय में जीव का बासा जी।।
कुणसे कमल में अवधू जोगण भोगण खेती
कुणसी करें साध्या घर बासा जी
इगंला पिंगला अवधू जोगण भोगण खेती
सुषमण करें साध्या घर बासा जी।।
बैठत बारा अवधू चलत अठारा
सोवत आवै तीस बतीसा जी
मैथुन करंता अवधू चौसठ टूटै
कदसी भजोला जगदीश जी।।
संध्या सोनाअवधू मध्यां में जागना
ऊठ त्रिकाली में देना पहरा जी
जरा भजन में चुक पडी तो अवधु
लगज्या जम का डेरा जी।।
चम चभर खाना रे अवधू बाये अंग लेटना
सो साधु जन सुरा जी
शरण मच्छेन्दर जति गोरख बोल्या
टल जावे चौरासी का फेरा जी।।
गोरक्ष जोगी नाथ पुकारे
मूल मत हारो हर का प्यारा जी।।
प्रेषक शंकर लाल योगी
9588009408
gorakh jogi nath pukare lyrics