घर में रागी घर में वैरागी प्रकाश माली भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
घर में रागी घर में वैरागी
घर घर गावन वाला ओ
कलयुग री आ छाया पड़ी है
कुन नुगरोने वर्जन वाला ओ जी।।
गुरु मुख ग्यानी जगत में थोड़ा
मन मुख मुंड कियोड़ा रे
ग्यान गत री मत नही जाने
ऐ लंबे बालों वाला ओ जी
घर में रागी घर में वैरागि
घर घर गावन वाला ओ।।
बाल राख ने मोड़ा चाले
अरे पंच केश नही ध्याता है
पांच तत्व री सार नही जाने
नित निम् न्हावन वाला है ओ जी
घर में रागी घर में वैरागि
घर घर गावन वाला ओ।।
नावे धोवे तिलक लगावे
अरे मंदिर जावन वाला ओ
निज मन्दिर री खबर नही जाने
गले जनोइरी माला है ओ जी
घर में रागी घर में वैरागि
घर घर गावन वाला ओ।।
अरे वेश पेर भगवान् रिजावे
घरे जोगियो रा वाना ओ
नेती धोती री सार नही जाने
पर बैठा पुरुष दीवाना है ओ जी
घर में रागी घर में वैरागि
घर घर गावन वाला ओ।।
भुरनाथ अडवन्का जोगी
सिद का जल वसवाला है
गुरु कानजी सिमरत मिलिया
अब फेरुस थोरी माला है ओ जी
घर में रागी घर में वैरागि
घर घर गावन वाला ओ।।
घर में रागी घर में वैरागी
घर घर गावन वाला ओ
कलयुग री आ छाया पड़ी है
कुन नुगरोने वर्जन वाला ओ जी।।
स्वर प्रकाश माली जी।
प्रेषक श्रवण सिंह राजपुरोहित।
91 90965 58244
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