घर घर में गूंज रही हनुमान की लीलाएं भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
घर घर में गूंज रही हनुमान की लीलाएं
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
सुन जामवंत के बोल हनुमान ने ये ठानी
श्री राम उच्चार चले चाहे निचे था पानी
प्रभु राम के काज करन हनुमान थे अकुलाये
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
जब लंकिनी ने रोका लंका के द्वारे पर
वध कीन्हा आगे बढे पनघट के किनारे पर
कहाँ बंदी बनी माता उसे कौन ये बतलाये
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
कुछ दानविया मिलकर करती थी ये चर्चा
वाटिका अशोक में दे सीता सत का परचा
रावण का चंद्र खडग सती को ना छू पाए
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
बंदी थी जहाँ माता भागे हनुमत उस और
कुम्भ्लाई बिना रघुनाथ ज्यूँ चंद्र के बिना चकोर
उस विरह अवस्था में हनु दरश का सुख पाए
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
सिया माँ के चरणों में प्रभु मुद्रिका जब फेंकी
मुंदरी स्वामी की है ये सोच के फिर देखि
मायावी दानव फिर कोई चाल नई लाये
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
तुम्हे राम दुहाई माँ मुझ पर विश्वास करो
श्री राम का सेवक हूँ मत मुझसे मात डरो
रघुवर के अंतर हर बात है बतलाई
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
घर घर में गूंज रही हनुमान की लीलाएं
कर पार समुन्दर को सीता की सुध लाए।।
ghar ghar me gunj rahi hanuman ki lilaye lyrics