घणी दूर से दोड़्यो थारी गाडुली के लार भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










घणी दूर से दोड़्यो थारी गाडुली के लार
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।


नरसी बोल्यो म्हारे सागे के करसी
ओढ़न कपडा नाही बैठसि यां मरसि
बूढ़ा बैल टूटेड़ी गाडी पैदल जावे हार
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।


ज्ञान दासजी कहवे गाडुली तोड़ेगा
ज्ञान दासजी कहवे तुमड़ा फोड़ेगा
घणी भीड़ में टूट जावे म्हारे ईकतारा रो तार
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।


नानी बाई रो भात देखबा चालूगो
पूर्ण पावलो थाली में भी डालूँगो
दोए चार दिन चोखा चोखा जीमूँ जीमनवाल
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।









जोड़े ऊपर बैठ हाकसूं में नारा
थे करज्यो आराम दाबसू पग थारा
घणी चार के तड़के थाने पहुचा देऊँ अंजार
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।


टूट्योड़ी गाडी भी आज विमान बनी
नरसी गावे भजन सुने खुद श्याम धणी
सूर्या सगळा पीठ थपे अरेरे जीवतो रे मोट्यार
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।


घणी दूर से दोड़्यो थारी गाडुली के लार
गाड़ी में बिठाले रे बाबा
जाणो है नगर अंजार।।












ghani dur se dodyo thari gaduli ke laar lyrics