गफलत की निदिया को तोड़के भजले रे प्राणी - MadhurBhajans मधुर भजन










गफलत की निदिया को तोड़के
भजले रे प्राणी
भजले रे हरि नाम
तू शरण प्रभू की आ जगत के
छोड़ के सारे काम
भजले रे हरि नाम।।
तर्ज नफरत की दुनिया को छोड़।


जब जाएगा प्यारे
यम की अदालत में
तब याद आएगी
सारी वो आदत है
यह तेरे रिश्तेदार नही कोई
आएगा तेरे काम
भजले रे हरि नाम।।


जब नाम है पाया
तो सुमिरन कर भाई
हरि नाम की करले
थोड़ी सी कमाई
यह दुनिया का भँडार नही
आएगा तेरे काम
भजले रे हरि नाम।।









अनमोल है जीवन
हीरे सी काया है
प्रभू ने तुझे देकर
जग मे पठाया है
पर जग मे आकर भूल गया है
अपना तू निज काम
भजले रे हरि नाम।।


गफलत की निदिया को तोड़के
भजले रे प्राणी
भजले रे हरि नाम
तू शरण प्रभू की आ जगत के
छोड़ के सारे काम
भजले रे हरि नाम।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।










gaflat ki nindiya ko tod ke bhaj le re prani lyrics