फकीरी जीवत धुके मसाण कर लीजो निज छाण - MadhurBhajans मधुर भजन










फकीरी जीवत धुके मसाण
कर लीजो निज छाण
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।


छह दर्शण छतीसू पाखण्ड
लग रही खींचातान
उलट पड़े इण जुग रे माही
जद पड़े थारी जाण
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।


शीश काट लड़े कोई शूरा
धड़ सू जुंझे आण
आठहु पोर सोलवा गावे
जद पड़े थारी जाण
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।


अगम निगम दो बाणी कहिजे
ऊबी करे बखाण
राजा प्रजा दर्शण आवे
धिन जोगिया रो भाग
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।









अनंत कोटि संतजन ध्यावे
नव नागा परियाण
शूरा ताप सहे इण तप री
कायर तज दे प्राण
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।


ब्रह्म मिलण रा पट्टा लिखाया
दिल बीच उगा भाण
हरी राम बैरागी बोले
सतगुरु मिलिया सुजाण
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।


फकीरी जीवत धुके मसाण
कर लीजो निज छाण
फकीरी जीवत धुकें मसाण।।
गायक ओम वैष्णव।
प्रेषक रामेश्वर लाल पँवार आकाशवाणी सिंगर।
9785126052

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