एकली ने घेरी वन में आज श्याम तने कैसी ठानी रे लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
एकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
श्याम मोहे वृंदावन जानो
लौटकर बरसाने आनो
मेरी कर जोरो की मानो
जो कोय होय देर
लड़ेगी ननंद जेठानी रे
ऐकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
दान दही को दे जा मोय
ग्वालन तभी जान दऊं तोय
नहीं तकरार बहुत सी होय
जो करि दे इंकार कोय
ऐकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
दान हम कबहुं नही दियो
रोक मेरा मारग काहे लियो
बहुत सो उधम अब ही कियो
आज तलक या बृज में कोई
भयो ना दानी रे
ऐकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
ग्वालन तू बातें रही बनाय
ग्वाल बालन को लेऊँ बुलाय
तेरो दही माखन देउँ लुटवाय
इठलावे हर बार बार
नार तोय छाई जवानी रे
ऐकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
कंस राजा से करूँ पुकार
तोहे बँधवाय दिलाऊँ मार
ठाकरी देऊँ सभी निकाराय
जु्ल्म करे नहीं डरे
समझ ले नार वीरानी रे
ऐकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
कंस क्या बाप लगे तेरो
और वो काह करे मेरो
कोऊ दिन मार करूँ ढेरो
करूँ कंस निरवंश
मेट दऊँ नाम निशानी रे
ऐकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
एकली ने घेरी वन में आज
श्याम तने कैसी ठानी रे।।
स्वर जया किशोरी जी।
ekli ne gheri van me aaj lyrics