म्हारा पियाजी एकर मिलवा आव भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










तन की पीड़ा मनवो लखे रे
मन पीड़ा मन पाव
ज्यारा साजन बिछड़े रे
पड़े कलेजे घाव
म्हारा पियाजी एकर मिलवा आव
चढ़यो विरह रो ताव
म्हारा पियाजी
एकर मिलवा आव।।


मैं तो गेली गेलाया किनी रे
आवत देख्यो न ताव
पत्थर दिल से प्रीत लगाई
कैसे होवे निभाव
म्हारां पियाजी एकर मिलवा आव।।


आद अनादि आपां भेला होता रे
आखिर मिलवा रो काव
बीच बिछोड़ा कैसे होया है
कैसे होवे रे निभाव
म्हारां पियाजी एकर मिलवा आव।।


बिन जल रो जल्दी जल भरयो रे
ता नहीं लागे नाव
अंदर द्वंद अनोखो रचियो
चारो ओर तनाव
म्हारां पियाजी एकर मिलवा आव।।









मदन स्नेही जान आपरो रे
लख भीतर रो भाव
के तो आय मिलो पियू प्यारा
नहीं तो म्हाने ने बुलाय
म्हारां पियाजी एकर मिलवा आव।।


तन की पीड़ा मनवो लखे रे
मन पीड़ा मन पाव
ज्यारा साजन बिछड़े रे
पड़े कलेजे घाव
म्हारा पियाजी एकर मिलवा आव
चढ़यो विरह रो ताव
म्हारा पियाजी
एकर मिलवा आव।।
गायक ओम प्रकाश जी आर्य।
प्रेषक पुखराज पटेल।
91 9784417723










ekar milva aao piyaji mhara lyrics