दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे शिव भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे
त्रिपुरारी
होके बैल पे सवार
पहने सरपो के हार
लागे सुंदर छबि प्यारी रे
त्रिपुरारी।।
गंगा को प्रभु जी शीश में धारे
कानों पे सर्पों के कुंडल डारे
सर्पों की माला है कंठ में हाला
श्री चंद्रधारी रे त्रिपुरारी
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे
त्रिपुरारी।।
मरघट की राख को अंग रमाये
कंठ में काले काले नाग लहराए
मस्तक विशाला है त्रिनेत्र वाला है
त्रिशूलधारी रे त्रिपुरारी
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे
त्रिपुरारी।।
भांग धतूरे को खाने वाला है
सब देवों में देव निराला है
सर्प और ततैया हैं बिच्छू बरैया हैं
बाग़म्बरधारी रे त्रिपुरारी
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे
त्रिपुरारी।।
ब्रम्हा विष्णु देव बराती
भूत प्रेत सब संगी साथी
रूप विशाला है सबसे निराला है
राजेन्द्र छबि प्यारी रे त्रिपुरारी
दूल्हा बन आए त्रिपुरारी रे
त्रिपुरारी।।
दूल्हा बन आये त्रिपुरारी रे
त्रिपुरारी
होके बैल पे सवार
पहने सरपो के हार
लागे सुंदर छबि प्यारी रे
त्रिपुरारी।।
गीतकार गायक राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340
dulha ban aaye tripurari re bhajan lyrics