धीरे धीरे बीती जाए उमर भव तरने का जतन तू कर - MadhurBhajans मधुर भजन










धीरे धीरे बीती जाए उमर
भव तरने का जतन तू कर
क्यो जग में भटके तू कही
क्यो दर गुरू के आता नही
धीरे धीरे बीती जाए उमर।।
तर्ज धीरे धीरे बोल कोई सुन ना।


जोड़ ले तू सतगुरू चरणो से तार
हो जाएगा घट मे तेरे उजियार२
हरि नाम भज
दुनिया को तज
क्यो जग में भटके तू कही
क्यो दर गुरू के आता नही
धीरे धीरे बीती जाए उमर।।


जीवन तेरा बीते है पल छिन
पँछी तो उड़ जाएगा रे एक दिन२
ये सोच ले
ये मान ले
जो आज है कल होगा नही
क्यो दर गुरू के आता नही
धीरे धीरे बीती जाए उमर।।









मेरे मनवा अब तो नीद से जाग
ये तन एक दिन हो जाएगा खाक२
निदिया को तज
हरि नाम भज
ये खाली स्वाँसे जा रही
क्यो जग में भटके तू कही
धीरे धीरे बीती जाए उमर।।


धीरे धीरे बीती जाए उमर
भव तरने का जतन तू कर
क्यो जग में भटके तू कही
क्यो दर गुरू के आता नही
धीरे धीरे बीती जाए उमर।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
वीडियो उपलब्ध नहीं।










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