दर पे आके तेरे साईं बाबा कुछ सुनाने को दिल चाहता है - MadhurBhajans मधुर भजन
दर पे आके तेरे साईं बाबा
कुछ सुनाने को दिल चाहता है
ना जुदा अपने चरणों से करना
सर झुकाने को दिल चाहता है।।
तर्ज कव्वाली।
मैं जहाँ भी गया मैंने देखा
लोग हैं स्वारथी इस जहाँ में
बात है क़ुछ दबी सी लबों पे
जो बताने को दिल चाहता है।।
थाम लो बाबा दामन हमारा
अब मुझे बस है तेरा सहारा
मोह माया भरे झूठे जग से
मन हटाने को दिल चाहता है।।
बस यही एक कृपा मुझपे कर दो
हाथ हो तेरा सर पे हमारे
भक्ति रस में तुम्हारे ओ बाबा
डूब जाने को दिल चाहता है।।
नाम का जाम मुझको पिला दो
बस यही आपसे माँगते हैं
परशुराम छबि बाबा की मन में
बस बसाने को दिल चाहता है।।
दर पे आके तेरे साईं बाबा
कुछ सुनाने को दिल चाहता है
ना जुदा अपने चरणों से करना
सर झुकाने को दिल चाहता है।।
लेखक एवं प्रेषक परशुराम उपाध्याय।
श्रीमानसमण्डल वाराणसी।
मो9307386438
dar pe aake tere sai baba kuch sunane ko ji chahta hai lyrics