दर दर हुए भटकों को दर पे तुम बुलाते हो लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










दर दर हुए भटकों को
दर पे तुम बुलाते हो
थक हार के आता है जो
सीने से लगाते हो
दर दर हुए भटकों को।।
तर्ज एक प्यार का नगमा।


बस मन में कभी सोचा
तुमने है पूरा किया
जब दिल से माँगा तो
पल भर में दे ही दिया
अब क्या क्या बताऊँ प्रभु
तुम कितना निभाते हो
थक हार के आता है जो
सीने से लगाते हो
दर दर हुए भटकों को।।


जीवन की सुबह तुमसे
और रात तुम्ही से है
ऐसी कृपा गिरधर
हर बात तुम्ही से है
अपनो ने मुँह फेरा
तुम नज़रें मिलाते हो
थक हार के आता है जो
सीने से लगाते हो
दर दर हुए भटकों को।।









हर एक मुसीबत में
तुमको ही पुकारा है
जब जब मैं गिरने लगा
तुमने ही संभाला है
आकाश के बादल से
पानी बरसाते हो
थक हार के आता है जो
सीने से लगाते हो
दर दर हुए भटकों को।।


दर दर हुए भटकों को
दर पे तुम बुलाते हो
थक हार के आता है जो
सीने से लगाते हो
दर दर हुए भटकों को।।
गायक आकाश शर्मा।










dar dar huye bhatko ko dar pe tum bulate ho lyrics