दादी के दरबार की महिमा अपरम्पार भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










दादी के दरबार की
महिमा अपरम्पार
हरपल भक्तों के ऊपर
माँ बरसे तेरा प्यार
दादी कें दरबार की
महिमा अपरम्पार।।
तर्ज देना हो तो दीजिये।


बूढ़े बालक और नर नारी
माँ के दर पे आते है
खाली झोली लेकर आते
भर भर झोली जाते है
जो मांगो सो मिल जाए
माँ देने को तैयार
दादी कें दरबार की
महिमा अपरम्पार।।


सारे जग की ये सेठानी
सब बच्चो की माता है
देती है चुपचाप सभी को
पता नहीं चल पाता है
वो दोनों हाथ लुटाए
पर भरा रहे भंडार
दादी कें दरबार की
महिमा अपरम्पार।।









जिसके मन में श्रद्धा भक्ति
मैया लाड़ लड़ाती है
उसके खातिर बिना बुलाए
दौड़ी दौड़ी आती है
ऐसे प्रेमी का घर तो
है मैया का परिवार
दादी कें दरबार की
महिमा अपरम्पार।।


सच्चे मन से सुमिरन कर ले
तेरी सुनाई कर लेगी
मन की पीड़ा माँ से कह दे
सारे संकट हर लेगी
क्यों घबराता है बिन्नू
तू आ जा माँ के द्वार


दादी कें दरबार की
महिमा अपरम्पार।।


दादी के दरबार की
महिमा अपरम्पार
हरपल भक्तों के ऊपर
माँ बरसे तेरा प्यार
दादी कें दरबार की
महिमा अपरम्पार।।












dadi ke darbar ki mahima aprampaar lyrics