छुपे बैठे हो कण कण मे भला मे केसे पहचानु भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










छुपे बैठे हो कण कण मे
भला मैं कैसे पहचानु
दुई का दूर कर पर्दा
सामने आओ तो जानु।।
तर्ज जगत के रंग।


छुपे माया के पर्दे मे
क्या मुझसे शर्म आती है
ये घुंघट दर्मिया पर्दा
हटा दोगे तो मैं जानु
दुई का दूर कर पर्दा
सामने आओ तो जानु।।


सुना है चाहने वालों से
हसीनों से हसीं हो तुम
तो चेहरे से जरा चिल्मन
हटा दोगे तो मैं जानु
दुई का दूर कर पर्दा
सामने आओ तो जानु।।









ये सुरज चांद से ज्यादा
अजब जो नूर हे तेरा
मेरे दिल में वही ज्योति
जगा दो तो मैं जानु
दुई का दूर कर पर्दा
सामने आओ तो जानु।।


अंधेरी रात कत्ति दूर
नैय्या भी भंवर मे है
मेरी नैया किनारे से
लगा दोगे तो मैं जानु
दुई का दूर कर पर्दा
सामने आओ तो जानु।।


छुपे बैठे हो कण कण मे
भला मैं कैसे पहचानु
दुई का दूर कर पर्दा
सामने आओ तो जानु।।

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