चार दिन का डेरा प्राणी जग में हमारा भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
चार दिन का डेरा प्राणी
जग में हमारा।
तर्ज चाँद जैसे मुखड़े पे।
दोहा गुरु मूरत गति चँद्रमा
सेवक नैन चकोर
अष्ट पहर निरखत रहूँ
गुरू चरणन की ओर।
चार दिन का डेरा प्राणी
जग में हमारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा
जाना होगा छोड़के
एक दिन यह जग
सारा हो सारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा।।
न कुछ तेरा न कुछ मेरा
फिर क्यो मन भरमाए
सब कुछजाने प्राणी फिर भी
इसमे फँसता जाए
कस्तूरी को जैसे मृग्या
फिरे मारा मारा हो आवारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा।।
चौला पहन केक्यो इतराए
जाग जरा निँदिया से
जोड़के सतगुरू से रिश्ता तू
तोड़ दे इस दुनिया से
ये दुनिया तो केवल प्राणी
तपोवन हमारा हो हमारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा।।
दो दिन को यह चाँद खिला है
कल अँधियारी आए
जो आया हैजाएगा एक दिन
तेरी भी बारी आए
आवागमन से तुझको प्राणी
मिल जाए छुटकारा हो छुटकारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा।।
चार दिन का डेरा प्राणी
जग में हमारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा
जाना होगा छोड़के
एक दिन यह जग
सारा हो सारा
नही ठिकाना ये जहाँ
है हमारा हो हमारा।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
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char din ka dera prani jag me lyrics