चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।
तर्ज ये मेरी अर्जी है।


दस हाथ सुशोभित है
दस भुजा सुशोभित है
सोने सा रूप तेरा
जिस पर जग मोहित है
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।


तू अति बलशाली है
माँ अति बलशाली है
दुष्टों का दमन करती
तेरी शान निराली है
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।









जादू या अजूबा है
चंद्रघंटा सवारे दुनिया
जिसने माँ को पूजा है
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।


तलवार कमंडल माँ
घंटे की प्रबल ध्वनि से
गूंजे भूमंडल माँ
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।


भोग दूध शहद भाता
बस पूजन अर्चन से
दुःख निकट नहीं आता
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।


तेरी पूजा खुशहाली है
हे मात चंद्रघंटा
तेरी शान निराली है
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।


दुःख अनुज का भी हरती
शरणागत की रक्षा
देवेन्द्र सदा करती


मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।


चन्द्रघंटा माँ से अर्जी मेरी
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी
मैं दास बनूँ तेरा
अब जैसे मर्जी तेरी।।
स्वर देवेन्द्र पाठक जी महाराज।










chandraghanta maa se arji meri lyrics