चल चल चंचल चित्रकूट मन राजे जहाँ श्री राम - MadhurBhajans मधुर भजन










चल चल चंचल चित्रकूट मन
राजे जहाँ श्री राम।
दोहा चित्रकूट में हो रही
राम नाम की लूट
निर्मल मन होवे जात है
हो भव बंधन से छूट।


चल चल चंचल चित्रकूट मन
राजे जहाँ श्री राम
मन भावन छवि धाम
पावन पय मंदाकिनि गँगा
बहती जहाँ अविराम
मन भावन छवि धाम।।
तर्ज मैं तो तुम संग नैन मिला के।









मनहर घाट बने अति सुन्दर
गिरिवर राजे चंहु दिशि मंदिर
स्वर्ग छटा छवि उतरी भू पर
दिशि दक्षिण में लखन पहाड़ी
जहाँ लक्षमन बलधाम
मन भावन छवि धाम।।


पीली कोठी बनी है न्यारी
जाकी कला कृति कितनी प्यारी
मुनि की प्रतिमा है मनहारी
शीशे युक्त रचे जंहा खम्भे
बीच में विरचित आम
मन भावन छवि धाम।।


मुख अरविंद द्वार छवि राजे
राम भक्त अरु बंदर राजे
ऋषिमुनि पग पग जँह पे विराजे
रज रज जाकी पावन कीन्ही
आके लखन सियाराम
मनभावन छवि धाम।।


कामदगिरि का जो करे दर्शन
मिट जाए ताप हो खुश अंतर्मन
पूरण काम है रज स्पर्शन
निर्मल मन को शांति मिले जहाँ
जपे जो प्रभु का नाम
मन भावन छवि धाम।।


चल चल चंचल चित्रकुट मन
राजे जहाँ श्री राम
मन भावन छवि धाम
पावन पय मंदाकिनि गँगा
बहती जहाँ अविराम
मन भावन छवि धाम।।












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