बूटी हरि के नाम की सबको पिला के पी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
बूटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी
पीने की तमन्ना है तो
पीने की तमन्ना है तो
खुद मिटाके पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी।।
ब्रम्हा ने चारो वेदों की
पुस्तक बना के पी
शिवजी ने अपने शीश पर
गंगा चढ़ाके पी
पृथ्वी का भार शेष ने
सिर पे उठा के पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी।।
बालि ने चोट बाण की
सीने पे खाके पी
मीरा ने नाच नाच कर
गिरधर रिझा के पी
शबरी ने बेर राम को
मीठे खिला के पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी।।
अर्जुन ने ज्ञान गीता का
अमृत बना के पी
संतो ने ज्ञान सागर को
गागर बना के पी
भक्तों ने गुरु के पग रज
मस्तक लगाके पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी।।
बूटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी
पीने की तमन्ना है तो
पीने की तमन्ना है तो
खुद मिटाके पी
बुटी हरि के नाम की
सबको पिला के पी।।
स्वर देवी हेमलता जी शास्त्री।
buti hari ke naam ki lyrics