भोले ओ भोले लखबीर सिंह लख्खा जी भजन - MadhurBhajans मधुर भजन










भोले ओ भोले
तू रूठा जग छूटा
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भोले ओ भोले
क्यूँ रूठा जग छूटा
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे।।


तू रूठा तो भवर से
फिर हम न तर सकेंगे
मेरे भोले पार बेड़ा
फिर हम न कर सकेंगे
कठिन परीक्षा आज है तेरी
हाथ में तेरे लाज है मेरी
नाथ हे डमरू वाले
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे।।


मेरे भोले जो मुझको
तू दे नहीं सहारा
शंकर तेरे भक्तो का
होगा कहाँ गुजारा
हे डमरूधर शंकर आओ
एक पल की ना देर लगाओ
भक्तो के रखवाले
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे।।


मेरे भोले तू जगत का
संकट जो ना हरेगा
कोई तेरी फिर जग में
पूजा नहीं करेगा
विनती सुन शर्मा की आओ
लख्खा का तुम कष्ट मिटाओ
आज हे भोले भाले
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे।।









भोले ओ भोले
तू रूठा जग छूटा
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भोले ओ भोले
क्यूँ रूठा जग छूटा
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे
भव पार तू लगा दे
अब हाथ तू बढ़ा दे।।










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