भोले का रूप निराला है शिव भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
माथे पे चंदा सजाकर
अंगो में भस्मी रमाकर
अपनी जटा से
गंगा को बहाकर
बैठा है वो
भोले का रूप निराला है
पहने वो सर्पो की माला है।।
तर्ज आज फिर जीने की।
श्यामल रंग सजीला
उसका तो कंठ है नीला
मृगछाल तन पे सजाए हुए है
भोला मेरा
भोले का रूप निराला हैं
पहने वो सर्पो की माला है।।
करते जब नंदी पे सवारी
दुनिया हो जाए उनपे वारि
श्रष्टि नियंता चले जब भ्रमण को
सब हो मगन
भोले का रूप निराला हैं
पहने वो सर्पो की माला है।।
डेरा कैलाश पे जमाकर
भक्तो का ध्यान लगाकर
करते है क्षण में समस्या निवारण
मेरा भोला
भोले का रूप निराला हैं
पहने वो सर्पो की माला है।।
माथे पे चंदा सजाकर
अंगो में भस्मी रमाकर
अपनी जटा से
गंगा को बहाकर
बैठा है वो
भोले का रूप निराला है
पहने वो सर्पो की माला है।।
bhole ka roop nirala hai lyrics