भया मैं सतगुरु का बंदा कट्या भ्रम जाल का फंदा लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन
भया मैं सतगुरु का बंदा
दोहा सेवक कुंभ कुम्हार गुरु
गढ़ गढ़ खाडे खोट
रज्जब अंदर रक्षा करें
बाहर मारे चोट।
हलवाई की हाट तज
मां की कहीं न जाए
रज्जब त्यों शिष्य बंदे
कबहु न उड़े उडाय।
भया मैं सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
लगे रज दर्पण में जैसे
जमा था मल जिगर तैसे
लगी शुभ कर्म की साबुन
धुला दिल दाग जो गंदा
भया में सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
ध्यान निर्धन का क्यों वित में
बना गुरु शब्द का चित में
दिया गुरुदेव जो चिंतन
मिटा विक्षेप निसंदा
भया में सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
शीला को गढ़ सिलावट जु
हटा दे भाग आवट जु
अनातम भाग मिथ्या में
लगा निजी ज्ञान का रंधा
भया में सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
मिटा अध्यत अंश जोई
रहा प्रत्यक्ष सत सोई
सर्व अधिष्ठान ब्रह्म मूर्ति
वही आत्म चिदा नंदा
भया में सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
जो गुरु चेतन भारती पाया
निज स्वरूप दर्शाया
भारती पूरण भया जब ही
उगा जब जान का चंदा
भया में सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
भया में सतगुरु का बंदा
कट्या भ्रम जाल का फंदा।।
गायक पुरण भारती जी महाराज।
8824030646
bhaya main satguru ka banda lyrics