भर सकता है घाव तलवार का बोली का घाव भरे ना लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










भर सकता है घाव तलवार का
दोहा बोली ऐसे बोलिये
मन का आपा खोय
ओरन को सीतल करे
तो पहले आप ही सीतल होय।
भर सकता है घाव तलवार का
बोली का घाव भरे ना।।


पीवर का गमन किया
भृगु जी की नार ने
ऋषि के उदासी छाई
सेवा हु के कारने
उसे देख हंसी आई
लक्ष्मी के भरतार ने
हँसता हुआ देख ऋषि
दुख किया मन माय
विष्णु को श्राप दिया
क्रोध कर के मन माय
दसरथ सुत राजकुमार का
हनुमत बिन काज सरे ना
भर जाता घाव तलवार का
बोली का घाव भरे ना।।









शिव और पार्वती
बैठे थे कैलाश में
नान्दिये थे पांच संग
गऊ चरे घास में
हंस गिरजा यू बोली
पांच पति पास में
सुणके वचन तब गऊ ने
श्राप दिया हँसे क्या
गिरजा देख तेरे होंगे पांच पिया
शंकर भगवान ने
पांच रूप धार लिया
पांचो पति द्रोपती नार के
गऊ माता का वचन टले ना
भर जाता घाव तलवार का
बोली का घाव भरे ना।।


द्रोपती ने बोल मारया
दुर्योधन कर्ण को
भवन में थी माया
पेंर रख्या नहीं धरण को
अंधे को बताया अँधा
मान हुआ हरण को
जुए बिच कोरव जीते
पांडव लगे हारणे को
दुस्ट दुशासन लागा
चीर को उतारणे
जिन्हें नाम लिया कीरतार का
पंचो पति बठे सहाय करे ना
भर जाता घाव तलवार का
बोली का घाव भरे ना।।


विष की भरी है बोली
अमीरस की खान है
बोली से अनादर होता
बोली से मान है
बोली से नरकों में जाता
बोली से कल्याण है
बोली का विचार करो
सार चीज पावोगे
माधव कहे मिले सुख
जब गम खावोगे
सुमिरन कर राधे श्याम का
उस बिन कोई विपत्त हरे ना
भर जाता घाव तलवार का
बोली का घाव भरे ना।।


भर जाता घाव तलवार का
बोली का घाव भरे ना।।
गायक राजू जी स्वामी।
प्रेषक सुभाष सारस्वा काकड़ा।
9024909170










bhar sakta hai ghav talwar ka boli ka ghav bhare na lyrics