भर दिया म्हारा सतगुरू ल्याय कुवा को पाणी ढाणा में - MadhurBhajans मधुर भजन
भर दिया म्हारा सतगुरू
ल्याय कुवा को पाणी ढाणा में
कुवा को पाणी ढाणा में।।
कुवा जल गहरा घणा जी
सहज हाथ नही आय
जाके हाथ साधन नही जी
प्यासा ही भल जाय
कुवा को पाणी ढाणा में।।
आठों साधन अरठ बनाया
श्रद्धाडोली लगाय
पाताला का नीरने जी
खैचलियो पल माय
कुवा को पाणी ढाणा में।।
यो जल है निर्मल मोती सो
अमृत से अधिकाय
पीवत प्रेम शान्ति व्यापे
जन्ममरण मिट जाय
कुवा को पाणी ढाणा में।।
यह जल नहीं ज्ञानी के खातिर
अज्ञानी नही भाय
को मुमुक्ष पीवसी जी
पीते ही मन हरसाय
कुवा को पाणी ढाणा में।।
प्रेम होत है लाभ से जी
यही बड़ो का नेम
ढाणा जल से प्रेम है जी
सागर से नही क्षेम
कुवा को पाणी ढाणा में।।
करी कृपा गुरूदेव ने जी
प्याउ दई भरवाय
कमला युगों युगों से प्यासी
अब जल पियो है अधाय
कुवा को पाणी ढाणा में।।
भर दिया म्हारा सतगुरू
ल्याय कुवा को पाणी ढाणा में
कुवा को पाणी ढाणा में।।
गायक बाबूलाल प्रजापत।
प्रेषक साँवरिया निवाई।
7014827014
bhar diya mhara satguru lyay kuva ko pani dhana me lyrics