भजले रे बन्दे नाम हरि का क्यो करता है नादानी - MadhurBhajans मधुर भजन
भजले रे बन्दे नाम हरि का
क्यो करता है नादानी
सुनले रे ओ अभिमानी।।
तर्ज बस्ती बस्ती पर्वत पर्वत।
हरि नाम बिन सूना जीवन
ज्यो दीपक बिन बाती
कितनी है अनमोल ये साँसे
लेकिन व्यर्थ है जाती
भजले रे बन्दें नाम हरि का
क्यो करता है नादानी
सुनले रे ओ अभिमानी।।
यही सार है इस जीवन का
और नही कुछ दूजा
गुरु सेवा से बड़ी नही है
जग मे और कोई पूजा
भजले रे बन्दें नाम हरि का
क्यो करता है नादानी
सुनले रे ओ अभिमानी।।
भजना हे तो भजले बन्दे
ये दिन फिर न आए
स्वाँसो का है क्या भरोसा
जाने कब रूक जाऐ
भजले रे बन्दें नाम हरि का
क्यो करता है नादानी
सुनले रे ओ अभिमानी।।
भजले रे बन्दे नाम हरि का
क्यो करता है नादानी
सुनले रे ओ अभिमानी।।
भजन लेखक एवं प्रेषक
श्री शिवनारायण वर्मा
मोबान8818932923
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bhajle re bande naam hari ka lyrics