भजन हरि का करले अभिमानी भजन लिरिक्स - MadhurBhajans मधुर भजन










भजन हरि का करले अभिमानी
तेरी दो दिन की ज़िंदगानी।।


मोह माया में ऐसा अटका
छोड़ के भव बंधन का खटका
नर तन का न लाभ उठाया
बीती जाए जवानी
भजन हरि का करलें अभिमानी
तेरी दो दिन की ज़िंदगानी।।


गर्भ में हरि की शर्त कबूला
बाहर आके सब कुछ भूला
धरम करम को छोड़ के बंदे
करता रहा शैतानी
भजन हरि का करलें अभिमानी
तेरी दो दिन की ज़िंदगानी।।


सुंदर तन का मान किया रे
तनिक न हरि का ध्यान किया रे
राजेन्द्र तेरी सुंदर काया
माटी में मिल जानी
भजन हरि का करलें अभिमानी
तेरी दो दिन की ज़िंदगानी।।









भजन हरि का करले अभिमानी
तेरी दो दिन की ज़िंदगानी।।
गीतकारगायक राजेन्द्र प्रसाद सोनी।
8839262340










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